हमकदम के बारे में
हमकदम के बारे में
हमकदम कौन हैं
हमक़दम उत्तर प्रदेश में पिछले 20-25 वर्षों से सामजिक न्याय पर काम करने वाले सामाजिक कर्मियों की एक साझा पहल है।
जिसमे कुछ सामाजिक कर्मी वर्तमान के सामाजिक राजनैतिक परिवेश में सामाजिक न्याय , समरसता और सौहार्द के लिए स्वयं के प्रयासों व प्रवासों पर व्यक्तिगत और सामूहिक आत्मचिंतन ( रिफ्लेक्शन ) कर रहें है। हमक़दम के साथियों ने यह देखने का प्रयास किया की आज हमारे समाज में साझी विरासत, साझी हकीकत और साझे सपने क्या हैं? क्या लक्षण हैं? क्या इन्हे उजागर करना संभव है?
हमकदम के इस तीन साल के साझे सफर में हमकदम के साथियों का व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से कई सारी उपलबधियां हुई हैं ।
हमकदम ने समरसता सौहार्द्र और सामाजिक न्याय, के अंतर्गत निकले सकारात्मक व जीवित उदहारण को इकठ्ठा करने का काम किया है जिनको अभी आगे सोशल मीडिया माध्यम से आगे अपने नजदीकी साथिओं की मदद से आगे फ़ैलाने / शेयर करने का प्लान किया है जिसमे केवल हमकदम ही नही बाकि साथी भी इसी तरह के प्रयासों को भी साझा कर सकते है!
हमारी सीख : जमीनी स्तर पर साझी विरासत की परम्पराएं अभी भी जीवित हैं। रोज़मर्रे की जिंदगी में समुदाय में लोग एक दूसरे के साथ सामाजिक रिश्ते, सांस्कृतिक रिश्ते तथा व्यापारिक रिश्ते बनाए रखते हैं। गरीब लोग कई ऐसे संत और फकीरों तथा उनके समाधि और दरगाहों पर विश्वास रखते हैं। इस विश्वास में धर्म आड़े नहीं आता। कई जगहों पर धार्मिक अनुष्ठानों में दूसरे धर्म के लोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
बंधुत्व के भावना के बिना समाज में एकता के मूल्यों को प्रतिस्थापित करना मुश्किल है। लोकतंत्र में एकता और समानता बहुत ही महत्वपूर्ण मूल्य हैं। बंधुत्व हमारे संविधान का अहम हिस्सा है।
समाज में कई सांस्कृतिक रीतिरिवाज हैं जो लोगों को जोड़ते हैं और आपस में आदर और सम्मान की भावना को फैलाते हैं। उन परंपराओं को बंधुत्व की भावना बढ़ाने के लिए उपयोगी है। इसमें एकता और समानता के संदेश को लगातार और हमेशा रखा जा सकता है ।
बंधुत्व और सद्दभाव की भवना से समाज में कई विषमता जैसे जेन्डर, जाति और धर्म आधारित भेदभाव को ख़त्म किया जा सकता है!
हमकदम : एक सफरनामा- पढ़ें पूरी रिपोर्ट
Rediscovering Empathy: Building Solidarity in Difficult Times in Uttar Pradesh, India