आजमगढ़ व अम्बेडकरनगर
गोविंद साहब का मेला – सभी संप्रदाय के लोग जाते हैं ।
अतरौलिया का मेला – दुर्गा माता के मेले में सभी संप्रदाय के लोग जाते हैं ।
हरिहारपुर का गायन की परंपरा – शास्त्रीय संगीत
पारंपरिक लोक कवि जहाँ दोनों धर्मों के होते हैं ।
मुबारकपुर में कपड़ा बुनाई – हिन्दू और मुसलमान बुनकर दोनों हैं ।
दुर्गा पूजा का पंडाल मुसलमान कारीगर बनाते हैं ।
जीदाई चाचा के किताब का दुकान – सभी धर्म की किताब रखते हैं और बेचते हैं, पूरे तहसील में और कोई ऐसी किताबों का दुकान नहीं है।
सरैया शरीफ दरगाह और पौहारी बाबा की मंदिर एक दूसरे के बहुत नजदीक है। सभी धर्म और जाति के लोग दोनों जगह जाते है ।
निजामाबाद में एक ऐसा परिसर है जहा मंदिर मस्जिद और गुरुद्वारा तीनों हैं ।
आजमगढ़ के एक रामलीला में मुसलमान लड़के राम और सीता की भूमिका निभाते है ।
अम्बेडकर नगर के किछौछा शरीफ दरगाह में पूरे देश से मुसलमान और हिन्दू दोनों संप्रदाय के लोग आते है ।
गाजी मिया का विशाल मेला रातभर लगता है और फिर बहराइच जाता है। मुसलमानों की तुलना में इसमे हिन्दू ज्यादा भाग लेते हैं।
पहले जो हिंदू घरों में शादी होती थी उसमें बाज़ार से बहुत ही कम चीजे आती थी। बिना कुम्हार, लोहार, बढ़ाई या दर्जी के बनाए हुए सामग्री से शादी पूरी नहीं होती थी। ये कारीगर अक्सर मुसलमान होते थे।
एक दूसरे संप्रदाय के शादी व्याह में शामिल होते है ।
खेती किसानी में एक दूसरे पर आज भी निर्भर है ।