लखनऊ और उसके आस पास
राजधानी में अलीगंज का पुराना हनुमान मंदिर है जहाँ पर चांद सितारा बना हुआ है कहा जाता है कि बेगम राबिया को एक रात सपने में भगवान हनुमान की एक मूर्ति दिखाई दी थी जो एक बगीचे में छिपी हुई थी। उन्हें मंदिर में इस मूर्ति को स्थापित करने की सलाह मिली। कुछ समय बाद बेगम राबिया को हनुमान जी का आशीर्वाद मिला और उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया। तब नवाब ने इस खूबसूरत मंदिर को बनवाने का आदेश दिया। मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद बेगम के काल में मंदिर के शिखर पर अर्धचंद्र और तारा स्थापित किया गया था, यही नही उन्होंने ही मंगलवॉर को सुरु किया था सबसे पहले भंडारा जिसके बाद से लखनऊ में आज तक होते है भंडारे !
सीतापुर के खैराबाद में बावन डंडे का ताजिया निकाला जाता है यह ताजिया कौमी एकता का प्रतीक है और इसे गंगाजमुनी तहज़ीब की मिसाल माना जाता है. इस ताजियेदारी में हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग शामिल होते हैं. इस ताजिये को बनाने की परंपरा कई सालों से चली आ रही है !
बावन डंडे का ताजिया यहां बहुत फेमस है, कहते है कि पहले वहां 52 मोहल्ले ही हुआ करते थे नवाबो के समय में और हर घर से एक डंडा जाता था और कहीं न कहीं वह ताजिये में शामिल होने का प्रतीक माना जाता था !
गोला गोकरननाथ वही कारीडोर है जो काशी कारीडोर के बाद प्रस्तावित हुआ है, शिवजी का जहां फेमस मंदिर है यह लखीमपुर के पास में है। इसके आस-पास जितने भी गांव हैं वह सारे हिन्दू देवी देवताओं के नाम से है , विष्णुखेड़ा, रामपुर, गणेशपुर और सारे मुस्लिम ही रहते है दूसरा यहां जितने भी त्योहार होते हैं गणेश चतुर्थी या दूसरे और जितनी भी मूर्तिया बनती हैं वह सारा मुस्लिम समाज ही बनाता है। छोटे मोटे दिन जो हिन्दू मानता है जेसे मंगलवार या गुरूवार, दुकाने बंद रहती है मीट नही बिकता है यहां पर एक हनुमान मंदिर और जिंद बाबा की मजार एक ही पैमाईश में है तो वहां पर दिये भी जलते हैं, टीके भी लगते हैं और हिन्दू-मुस्लिम दोनो जाते हैं।
बरेली की तरफ जाने में एक नानक मत्था है और गुरूदारा भी है और ये फेमस है। ये ऐसा नही है कि केवल उसी कम्युनिटी के लिए है बाकी सारे लोग भी जाते है । यहां लंगर भी लगता है जिसमें सभी लोग जाते हैं।
बाराबंकी में देवा शरीफ की मजार पर हर धर्म के लोग एक साथ होली खेलते हैं तो मजार की खूबसूरती दोगुनी हो जाती है जब गुलाब और गुलाल की अनोखी होली हिंदू- मुस्लिम भाई एक साथ मिलकर खेलते हैं।
बरेली में स्थित चुन्नी मिया का मंदिर एक प्रसिद्ध लक्ष्मी नारायण मंदिर है, जिसे हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के बरेली में बड़ा बाजार के पास स्थित है. इस मंदिर को एक मुस्लिम व्यवसायी, फजलुर्रहमान खान द्वारा बनवाया गया था, जिन्हें लोग चुन्नी मियां के नाम से जानते हैं. मंदिर में लक्ष्मी नारायण की भव्य मूर्तियाँ स्थापित हैं