जौनपुर
क्षेत्र में कई ऐतिहासिक इमारतें हैं जो सभी सम्प्रदाय अपनाते हैं। जैसे शाही पुल, सिराज ए हिंद, शाही किला आदि!
गाजी मियां के मेले मैं और बारात में सभी धर्म के लोग शामिल होते हैं। गौसपुर केदरगाह में भी सभी धर्म के लोग दूसरे जिलों से भी आते हैं।
शाहगंज (जौनपुर) सप्ताह भर तक चलने वाला प्रसिद्ध ऐतिहासिक चूड़ी मेला : चूड़ी मेले के बारे में मान्यता है लंका पर विजय के बाद माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापसी के बाद माता सीता ने अपनी सहेलियों के साथ शृंगार हाट पहुंचकर खरीददारी की थी। ऐसे में यह मेला महिलाओं के लिए शुभ का प्रतीक माना जाता है, मेले में बड़ी संख्या में महिलाएं खरीदारी करती हैं। साथ ही क्षेत्र की मुस्लिम महिलाएं भी इस मेले में सम्मिलित होती है !
सरायख्वाजा का मिला- इस मेले में स्थानीय कारीगर लकड़ी से बनाएँ सामान और खिलौने लाते है। इन वस्तुओं को खरीदने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। कारीगरों में भी हिंदू और मुसलमान दोनों रहते हैं और खरीदारों में भी।
जौनपुर के मुसलमान कारीगर खड़ाहूँ बनाते हैं जो बनारस में पंडितों के बीच बिकता है।
शाही तालाब के पास बाल मेला का आयोजन होता है जहाँ मदरसा और प्राइमरी स्कूल दोनों के बच्चे शामिल होते हैं !
बारावफात के समय रात को एक जुलूस निकलती है जिसमें दोनों समुदाय के लोग शामिल होते हैं। इस समय एक राष्ट्रीय गोष्ठी का भी आयोजन होता है जिसमे कवि सम्मेलन और मुशायरा का मिश्रित रूप भी आयोजित होता है।
खेतासराय में एक मुशायरा का आयोजन होता है जिसमे हिंदी के कवि और उर्दू के शायर दोनों शामिल होते हैं।