जालौन
इस क्षेत्र में कई सारे ऐसे मेले हैं जहाँ हिंदू और मुसलमान दोनों शामिल होते हैं जैसे जिंद बाबा का मिला, मारीच मेला, धौरपुर का मेला, दशहरा मेला, शरद पूर्णिमा मिला आदि। मारीच मेले के आयोजक मंडली के अध्यक्ष मुसलमान समाज से ही होते हैं। जटायू की भूमिका भी मुसलमान ही करते है।
क्षेत्र में मुशायरा हिंदू और मुसलमान दोनों चंदा इकट्ठा करके आयोजन करते हैं।
रमजान के समय कई जगहों पर हिंदू भाई भी अपने मुसलमान भाइयों के साथ रोजा इफ्तार करते हैं।
कुछ हिंदू और मुस्लिम पार्ट्नर मिलकर व्यापार संभाल रहे हैं। उसका एक नमूना है कृषि यंत्र एजेंसी जो एक हिंदू और मुसलमान पार्ट्नर मिलकर चलाते हैं। ऐसे ही कुछ बिल्डिंग मटेरिअल के व्यापार भी है।
क्षेत्र के हिंदू और मुसलमान कृषक जो गरीब है या भूमिहीन हैं वह अक्सर मिलकर जिस व्यक्ति के पास ज़्यादा जमीन है, उससे जमीन लेकर इकट्ठा जोत लेते हैं।
जालौन के कोच नाम से एक कस्बा है वहाँ के नई बस्ती में काली जी का मंदिर और एक मज़ार अगल बगल है और एक जगह भंडारा लगता है तो सभी सम्प्रदाय के लोग उसमें शामिल होते हैं !
कोंच में तकिया कलंदर शाह की दरगाह में झूठ सज्दा नशीन होते हैं वे बचपन में हिंदू होते हैं और नाबालिग बनने पर पूरे रीति रिवाज से मुसलमान बन जाते हैं धर्म परिवर्तन करके यह परम्परा पीछे से चली आ रही है. वर्तमान सज्दा नशीन से यह बात पता चली !
दरगाह के आसपास कम से कम 100 दुकानें हैं जो हिंदू और मुसलमान दोनों लोगों के हैं वहाँ एक मदरसा भी चलता है और वहाँ सभी धर्म के बच्चे जाते है !
वहाँ एक मोहर्रम के दौरान ताजिया निकलती है जिसमे खटीक समाज और वाल्मीकि समाज जुड़ते हैं और ढोल नगाड़े के साथ शामिल होते हैं !
दशमी के दिन देवी विसर्जन के समय जो शोभायात्रा निकलती है उसमें शामिल श्रद्धालुओं के लिए एक साइड से हिंदुओं द्वारा भंडारा लगाया जाता है और दूसरे साइड से मुसलमान भाई पानी पिलाते हैं !